जौनपुर। रासमंडल स्थित डाक्टर विमला सिंह के आवास पर संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कवि ओंकारनाथ यादव कलाधर , विशिष्ट अतिथि कवि फूलचंद भारती एवं अध्यक्षता शायर अंसार जौनपुरी ने किए। संचालन अश्वनी तिवारी ने की। शुभारंभ मॉं सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् कवि जनार्दन प्रसाद अष्ठाना श्पथिकश् द्वारा स्वरचित सरस्वती वंदना की गई। कवि रूपेश साथी श्अकेलाश् की पंक्ति,प्यार वो जी अच्छा होता,जो जी अच्छा होता ।कवि कमलेश कुमार की पंक्ति, कत्ल खंजर से क्या करना लोगों,भॅंवरा जब फूल से ना मिल पाये तो मर जायेगा यूॅं ही।समीक्षक एवं कवि एस.बी.उपाध्याय की पंक्ति,प्रश्न जरूरी है शीर्षक कविता मंत्रमुग्ध कर गई।कवि अशोक मिश्र की, विप्लव राग जिन्हें गाना था,गाते हैं दरबारी राग,राख बने वे बिखर रहे हैं, जिन्हें समझ बैठे थे आग। साहित्यकार रामजीत मिश्र का शेर, दिन किस तरह का होगा ए तय होता इस तरह, सूरज की पहली किरण जो थी कितनी लाल। वही कवि ओ.पी. खरे ने मौत के साए पली है जिन्दगी। दास्तॉं बतला रही है जिन्दगी।। कवि रमेश चंद्र सेठ आशिक जौनपुरी की पंक्ति, बचा करके रखों खुशियॉं जरा अपनी जमाने में।कवि गिरीश श्रीवास्तव ने तकाजा वक्त का ठहरा नहीं है,समन्दर दिल से तो गहरा नहीं है।कवि जनार्दन प्रसाद अष्ठाना पथिक की श्रृंगार रस से परिपूर्ण पंक्ति,रात दिन बस तुम्हारी प्रतीक्षा रही,तुम मुझे किन्तु अपना बना ना सके।प्रो.आर.एन. सिंह की सामयिक पंक्ति, भौतिकता की दौड़ है, दौड़ सके तो दौड़।नाकामी का ठीकरा, औरों पर मत फोड़। कवि ओंकारनाथ यादव श्कलाधरश् की पंक्ति, जितने अनर्थ घोर सब कुर्सी के लिए हैं। संध्या को कहते भोर सब कुर्सी के लिए हैं। कवि फूलचन्द भारती ने, जब से हीय में श्रीराम बसे हैं प्रेम से मैं नित गंगा नहाऊॅ। वही शायर अंसार जौनपुरी ने तरून्नम में तिनके तिनके को भी सेहरा में शजर मान किया सुनाया।

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