बस्ती । साहित्योदय (साहित्य, कला और संस्कृति न्यास) के तत्वावधान में दो दिवसीय “गीतायन अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव 2025” का आयोजन अखण्ड गीता पीठ, श्रीमद्भागवद्गीता मंडपम, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में 8 एवं 9 नवम्बर को अत्यंत भव्य रूप में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी शाश्वतानंद गिरी एवं देश के वरिष्ठ कवि-साहित्यकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर ने कहा कि साहित्य केवल शब्दों का खेल नहीं अपितु यह साधना है जो इसमें डूबता है उसे ही मोती प्राप्त होता है। गीत ऋषि बुद्धि नाथ मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि रचनाएं युग का प्रतिनिधत्व करती है अतएव आप ऐसा लिखे जिसमे युग का बोध हो पूरे देश से साहित्यकारों, विद्वानों और कलाकारों ने कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता की शिक्षाओं और भारतीय संस्कृति की अक्षुण्ण परंपरा को नमन किया।
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष पंकज प्रियम ने देश के विभिन्न राज्यों से पधारे कवियों, लेखकों एवं रचनाकारों का आत्मीय स्वागत करते हुए कहा कि साहित्योदय प्रत्येक वर्ष नए संस्करण के साथ अपने आयोजन आयोजित करता आ रहा है इस वर्ष गीता पर आधारित आयोजन है उन्होंने कहा कि “गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का ज्ञान-विज्ञान है। साहित्य के माध्यम से इसका संदेश जन-जन तक पहुँचना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।”
उद्घाटन सत्र में 150 रचनाकारों की रचनाओं से सुसज्जित पवित्र ग्रंथ ‘गीतायन’ का लोकार्पण संपन्न हुआ। यह ग्रंथ भारतीय चिंतन, अध्यात्म और काव्य-प्रवाह का जीवंत दस्तावेज़ माना जा रहा है। महाभारत के पात्रों को समकालीन दृष्टि से “गीतायन” रूप में चित्रित किया इस विशेष कृति का विमोचन डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के संरक्षण में सम्पन्न हुआ। कुरुक्षेत्र की भूमि जहाँ कभी धर्मयुद्ध का उद्घोष हुआ था, वहीं अब शब्दों का धर्मयुद्ध विचारों और संवेदनाओं का यज्ञ संपन्न हुआ।
दो दिवसीय आयोजन में देश-विदेश से आए 100 से अधिक कवि एवं कवयित्रियों ने काव्यपाठ कर अपनी सृजनशीलता का प्रदर्शन किया। भाव, रस और अनुभूति से परिपूर्ण इन प्रस्तुतियों ने पूरे सभागार को बार-बार तालियों की गूंज से भर दिया। सांस्कृतिक सत्र में प्रस्तुत नृत्य-नाटिका ‘गीतायन’ ने दर्शकों को अध्यात्म, कला और संस्कृति की संयुक्त अनुभूति कराई। यह प्रस्तुति कला के उस स्वरूप की प्रतीक बनी जिसमें गीता के श्लोक नृत्य की मुद्राओं में जीवंत हो उठे।
इस सत्र का संचालन मयंक श्रीवास्तव बस्ती उ. प्र. द्वारा अति प्रभावशाली रूप में किया गया। जिसमे प्रमुख रूप से आस्था कृति डॉ नीलम वर्मा रुजुला पाण्डेय अनवेशा कृति वर्षा गुप्ता आस्था ने नृत्य के द्वारा शानदार प्रस्तुति की सामूहिक नृत्य में देश की विविधताओं के रंग देखने को मिले।
कविता पाठ में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य से डॉ. अर्चना पाठक ने अपनी ओजस्वी वाणी और सुमधुर संचालन कुरुक्षेत्र की भूमि जहाँ कभी धर्मयुद्ध का उद्घोष हुआ था, वहीं अब शब्दों का धर्मयुद्ध विचारों और संवेदनाओं का यज्ञ संपन्न हुआ। शैली से सबका मन मोह लिया। इसके अतिरिक्त दिल्ली से रश्मि सिंह लखनऊ से डॉक्टर सुमन सुरभि, गुरुग्राम से वीणा अग्रवाल ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिसे लोगों ने बहुत सराहा। सुनीता बंसल, शोभा पारासर, शुभ्रा पालीवाल, रेनू मिश्रा, प्रेरणा सिंह, राकेश रमण, देवेंद्र खरे ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कविता पाठ के दस से अधिक सत्र हुए। देर रात लोगों ने कविताओं का आनंद लिया
इस साहित्योत्सव ने यह संदेश दिया कि भारत का साहित्य केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। “गीतायन अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव 2025” साहित्य, संस्कृति और गीता के संदेश को विश्व पटल पर एक नई ऊँचाई प्रदान करने वाला आयोजन के बाद दुर्गायन पर मिलने के संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ।

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