अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस 1 मई को पूरे भारत में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (मजदूर दिवस) अत्यंत श्रद्धा, गर्व और जोश के साथ मनाया गया। इस दिन देश के एक अद्वितीय व्यक्तित्व को समर्पित किया जाता है, जो अपने परिश्रम, परिश्रम और कठिन परिश्रम के बल पर भारत की प्रगति और समृद्धि की स्थापना को मजबूत बनाते हैं। उद्यमियों के योगदान को याद किया गया और उन्हें प्रतिष्ठित किया गया। इतिहास की झलक: संघर्ष से अधिकार तक का सफर श्रमिक दिवस की शुरुआत वर्ष 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुई, जब श्रमिकों ने आठ घंटे काम, आठ घंटे आराम और आठ घंटे निजी जीवन के सिद्धांत का आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन धीरे-धीरे एक वैश्विक समाज में शामिल हो गया और 1 मई को दुनिया भर में अल्पसंख्यकों के अधिकार का प्रतीक दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। भारत में इसे पहली बार 1923 में चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में मनाया गया था। वर्चुअल रेलवे एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन देश के विभिन्न कलाकारों में श्रमिक श्रमिक, यूनियन और सोशल सोसायटी रैलियां निकाली गईं, जिनमें हजारों उद्यमियों ने भाग लिया। इनमें रेलवे के म...
गीता राठौर "गीत"(गीतकार) छंद मनहरण घनाक्षरी:- वृंद भंवरों के बृंद तितलियों के गाने लगे आ गया वसंत फिर छाई खुशहाली है सुमन सुगंधित बयार मन भावनी है पीली सरसों पे हरी हरी हरियाली है उर में उमंग रंग प्रीत का चढ़ाने वाली कोयल की मीठी तान शान मतवाली है देता प्रेम का संदेश आ गया है ऋतुराज यही तो संदेश देश का प्रभावशाली है गीता राठौर "गीत" गीतकार शहर -पीलीभीत ,पूरनपुर ,उत्तर प्रदेश अभिषेक मिश्रा सचिन मेरी फ़ितरत में सनम बेवफ़ाई नहीं ! तेरी तस्वीर अब तक फोन हटाई नहीं !! बस इसी बात से ये दिल मेरा परेशान है! तेरे बाद किसी और से नजरें मिलाई नहीं !! तू करे याद मुझको या ना करे सनम !! मगर मैंने कभी भी तेरी बातें भूलाई नहीं!! मेरी किस्मत में शायद तेरी जुदाई सही! मैं अगर गलत हूं तो गलत ही सही! क्या यार तुझ में कोई बुराई नहीं!! मेरी फितरत में सनम बेवफाई नहीं !! तेरी तस्वीर अब तक फोन से हटाई नहीं!! ... ___________________________....